Delivery Trading in Hindi: दोस्तों शेयर बाजार में ट्रेडिंग कई प्रकार से की जाती है, जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, डिलीवरी ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, स्काल्पिंग ट्रेडिंग और पोजीशनल ट्रेडिंग। जिसमे ट्रेडिंग करने का सबसे पोपुलर तरीका इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग होती है। हमने अपने पिछले लेख में Intraday Trading के बारे में जानकारी दी थी, और इस लेख में हम आपको Delivery Trading के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
डिलीवरी ट्रेडिंग निवेश का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है, क्योकि इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना डिलीवरी ट्रेडिंग में कम जोखिम होता है, इसमें ख़रीदे गए शेयर को बेचने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होती है।
आईये हम जानते है डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है, Delivery Trading कैसे करे, डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम क्या है, डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे क्या है, Delivery Trading के नुकसान के है, डिलीवरी ट्रेडिंग की फीस कितनी है, इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है, आदि।
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? (Delivery Trading in Hindi)
डिलीवरी ट्रेडिंग एक लम्बी अवधि के लिए निवेश करने की प्रक्रिया है। इस प्रकार के ट्रेडिंग में निवेशक किसी शेयर खरीद कर सप्ताह, माह, वर्ष या 10 साल या इससे अधिक समय के लिए होल्ड कर के अपने Demat Account में रखते है। और जब निवेशक को मुनाफा होता है तब शेयर को बेच देते है।
आईये एक उदहारण से समझते है- माना की आज आपने Delivery Trading के अंतर्गत टाटा कंपनी के 1000 शेयर 100 रुपये की कीमत से में ख़रीदा, और आप चाहते है कि इस शेयर को 110 रुपये की कीमत में बेचना है। 1 माह या 1 वर्ष बाद आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर के कीमत 110 रुपये हो जाती है, तो आप अपने शेयर को बेचकर मुनाफा कमा सकते है।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें (How to do delivery trading)
डिलीवरी ट्रेडिंग लॉन्ग टर्म निवेश के लिए किया जाता है, जिसके अंतर्गत आप किसी कंपनी के शेयर को आज खरीद कर लम्बे समय के लिए अपने Demat Account में होल्ड कर रख सकते है।
इसलिए आपको सबसे पहले आपको अपना Demat Account खुलवाना होता है, आप किसी भी डिस्काउंट ब्रोकर या फुल सर्विस ब्रोकर के साथ डीमेट खाता खोल सकते है।
जैसे- Upstox, Groww App, Angel Broking, 5Paisa, Zerodha
किसी भी ट्रेडिंग ऐप पर डीमेट खाता खोलने से पहले, उसके चार्जेज/ फीस के बारे में पूरी जानकारी अवश्य लें, जिसमे चार्जेज कम हो और सुविधाएँ अच्छी मिले, उसमे अपना डीमेट खाता खुलवाएं।
डीमेट अकाउंट खोलने के बाद ब्रोकर की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर ट्रेडिंग शुरू कर सकते है। जब भी आप किसी शेयर को खरीदें, उस समय डिलीवरी ट्रेडिंग विकल्प को सलेक्ट करें और Buy करें।
Buy करने के बाद आप अपने शेयर को लम्बे समय के लिए अपने Demat Account में होल्ड कर रख सकते है, आप जब भी चाहें अपने शेयर को बेच सकते है, बेचने के लिए कोई निश्चित अवधि निर्धारित नहीं होती है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम (Delivery Trading Rules)
यदि आप डिलीवरी ट्रेडिंग करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियमो को फॉलो करेंगे तो आपको ट्रेडिंग करके पैसे कमाना आसान होगा। डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम कुछ इस प्रकार से है।
- Delivery Trading के लिए Demat Account की आवश्यकता होती है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में ख़रीदे गए शेयर को लम्बे समय तक डीमेट अकाउंट में होल्ड कर रख सकते है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने के लिए ब्रोकर की तरफ से आपको मार्जिन मनी नहीं मिलता है।
- किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने के लिए आपको शेयर की एक्चुअल कीमत चुकानी होती है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के टिप्स (Delivery Trading Tips)
- आप जिस भी कंपनी के शेयर में निवेश करना चाहते है, उस कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस अवश्य करना चाहिए।
- किसी भी शेयर को खरीदने से पहले उसका भविष्य क्या होगा, उसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में उतना ही कैपिटल निवेश करें, जिसका नुकसान होने पर आपको जोखिम कम हो।
- शेयर खरीदने के बाद, उस शेयर को बेचने का लक्ष्य निर्धारित करें। जल्दी बाजी में शेयर को नहीं बेचें।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने से पहले अपना स्टॉप-लोस निर्धारित करें। ताकि आप अपना जोखिम कम कर सकें।
- अपनी सभी पूँजी को एक ही कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करें, बल्कि अलग-अलग कंपनियों में निवेश करें। इससे आपको जोखिम होने की सम्भावना बहुत कम होती है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे (Advantages of Delivery Trading)
Delivery Trading के फायदे निम्न है।
- नए ट्रेडर के लिए डिलीवरी ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना में जोखिम बहुत कम होता है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में आप स्टॉक को लम्बे समय तक के लिए होल्ड कर सकते है।
- ज्यादातर ब्रोकर डिलीवरी ट्रेडिंग का चार्ज/ फीस नहीं लेते है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक जिस कंपनी के शेयर खरीदते है, उसके मालिक होते है, इसलिए जब भी कंपनी को लाभ होता है, वह अपने निवेशको को Dividend देती है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जितने लम्बे समय के लिए शेयर को होल्ड करते है, उतना ही अधिक फायदा होता है। क्योकि समय के साथ कंपनी की वैल्यू भी बढती रहती है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान (Disadvantages of Delivery Trading)
Delivery Trading करने के कुछ फायदे है, तो कुछ नुकसान है। जो कि निम्न है-
- डिलीवरी ट्रेडिंग में ब्रोकर निवेशक को कोई मार्जिन मनी नहीं देता है, निवेशक को शेयर खरीदने के लिए पूरे पैसे देने होते है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में लाभ कमाने के लिए निवेशक को लम्बे समय के लिए निवेश करना होता है।
- निवेशक को लम्बे समय तक निवेश करने के बाद लाभ मिले इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
- निवेशक को लाभ कमाने के लिए सही समय का इन्तिज़ार करना होता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग करने की फीस कितनी होती है?
जिस तरह इंट्राडे ट्रेडिंग में कुछ शुल्क लगते है, उसी तरह डिलीवरी ट्रेडिंग करने पर ब्रोकर द्वारा कुछ चार्ज/फीस लिए जाते है, जिसके बारे में निवेशको को जानकारी होनी चाहिए। आईये जानते है डिलीवरी ट्रेडिंग में कौनसे चार्जेज लगते है।
- ब्रोकरेज शुल्क: ज्यादातर डिस्काउंट ब्रोकर डिलीवरी ट्रेडिंग का कोई चार्ज वसूल नहीं करते है, लेकिन रेगुलर ब्रोकर और कुछ डिस्काउंट ब्रोकर डिलीवरी ट्रेडिंग करने पर कुछ सामान्य शुल्क लेते है।
- GST शुल्क: डिलीवरी ट्रेडिंग में ब्रोकर शुल्क के अलावा GST शुल्क लगाया जाता है, जो कि ब्रोकर शुल्क का कुछ परसेंट होता है, जो सरकार द्वारा तय सेवा शुल्क होता है।
- SEBI शुल्क: डिलीवरी ट्रेडिंग में SEBI के द्वारा शुल्क लिया जाता है।
- अन्य शुल्क: इसके अलावा CTT, STT और Transaction Charge लगाया जाता है।
इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि शेयर बाजार में मुख्य रूप से दो तरह की ट्रेडिंग की जाती है, इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग, नीचे हम इन दोनों ट्रेडिंग के मुख्य अंतर को समझेंगे।
इंट्राडे ट्रेडिंग | डिलीवरी ट्रेडिंग |
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इंट्राडे ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 3:15 तक होता है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में ख़रीदे गए शेयर को कभी भी बेच सकते है, इसका समय निर्धारित नहीं होता है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग में आप शेयर को Demat Account में होल्ड नहीं कर सकते है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को Demat Account में लम्बे समय के लिए होल्ड कर रख सकते है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर द्वारा आपको मार्जिन मनी दिया जाता है, जिसकी मदद से आप अधिक कीमत के शेयर खरीद सकते है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में ब्रोकर आपको मार्जिन मनी नहीं देता है, आपके पास जीतनी पूँजी है, उतनी पूँजी के शेयर ही खरीद सकते है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग में जोखिम अधिक होता है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में इंट्राडे की तुलना में जोखिम कम होता है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग में कंपनी आपको Dividend नहीं देती है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में जब आप कंपनी के शेयर को लम्बे समय के लिए होल्ड रखते है तो कंपनी आपको Dividend देती है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग में केवल 10% लोग ही पैसे कमा पाते है। | डिलीवरी ट्रेडिंग में लगभग सभी निवेशक पैसे कमाते है। |
इंट्राडे ट्रेडिंग आप कुछ ही स्टॉक में कर सकते है। | जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग आप सभी प्रकार के स्टॉक में कर सकते है। |
FAQ: Delivery Trading in Hindi
ऐसी ट्रेडिंग जिसमें निवेशक लाभ के उद्देश्य से किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उन्हें लंबे समय तक अपने पास रखते हैं, डिलीवरी ट्रेडिंग कहलाती है।
जब भी आपके द्वारा खरीदे गए शेयर की कीमत बढ़ती है या आपको लगता है कि भविष्य में शेयर की कीमत वर्तमान कीमत से अधिक नहीं बढ़ेगी, तो आप डिलीवरी शेयर बेच सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग में, निवेशक को स्टॉक मार्केट के एक ही ट्रेडिंग सत्र में यानी सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे के बीच ट्रेड पूरा करना होता है, जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक खरीदे गए शेयरों को लंबे समय तक होल्ड कर रख सकता है।
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निष्कर्ष: डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?
यदि आप शेयर बाजार में नए है तो डिलीवरी ट्रेडिंग निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योकि इसमे अन्य ट्रेडिंग की तुलना में धनी हानि की सम्भावना थोड़ी कम होती है। इसमें आप लम्बे समय में निवेश करके अच्छी कमाई कर सकते है।
उम्मीद करते है आपको डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है के बारे में पूरी जानकारी मिली होगी, यदि आपको यह लेख पसंद आये तो इस लेख को अपने उन दोस्तों के साथ शेयर करें जो डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे में जानना चाहते है।