दोस्तों सेबी (SEBI) का नाम तो आपने सुना होगा। और जो लोग Share Market में निवेश करते हैं या काम करते हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं कि ‘SEBI क्या है?‘ सेबी से जुड़े सवाल अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। कुछ लोग इसके बारे में जानते है और कुछ लोगों नहीं। इस लेख में हम आपको बताएंगे ‘सेबी क्या है?‘ ‘SEBI का पूरा नाम क्या है?‘ ‘सेबी के कार्य और नियम क्या हैं?‘
अगर आप वास्तव SEBI के बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।
SEBI का फुल फॉर्म क्या है? (What is the full form of SEBI?)
SEBI का पूरा नाम (Full Form) ‘Securities Exchange And Board of India‘ है। जिसे हिंदी में ‘भारतीय प्रतिभूतियां और विनिमय बोर्ड‘ है? इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1992 में हुई थी। जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। इसका मुख्य कार्य शेयर बाजार में हो रहे कार्यो की निगरानी करना है।
SEBI क्या है? (What is SEBI?)
सेबी (SEBI) यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड एक प्रतिभूतियों और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय है जो शेयर बाजार के कामकाज को नियंत्रित करता है। और साथ ही यह शेयर बाजार में हो रहे व्यापार जैसे शेयर, बॉन्ड, सिक्योरिटीज, म्यूचुअल फंड, एसआईपी (SIP), और स्टॉक को नियंत्रित करता है। इसका मुख्य कार्य निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना और निवेशकों (Investors), ब्रोकर्स और कंपनियों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर नियमों में बदलाव करना है।
Formed | 30 January 1992 |
Type | Regulatory Body |
Location | Mumbai, Maharastra, India |
Owned By | Ministry of Finance, Government of India |
Chairman | Ajay Tyagi (IAS) |
Website | www.sebi.gov.in |
सेबी का इतिहास (History of SEBI)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और भारत सरकार के एक अध्यादेश द्वारा SEBI अधिनियम 1992 के तहत 30 जनवरी 1992 को वैधानिक मान्यता प्राप्त हुई थी। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। सेबी से पहले, भारतीय पूंजी बाजार को “कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज” के नियामक प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाता था।
SEBI के क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि, अहमदाबाद , हैदराबाद, शिमला, जयपुर और लखनऊ में स्थित है।
सेबी के स्थापना का उद्देश्य (Objectives of setting up SEBI)
पूंजी बाजार में निवेशकों की जबरदस्त वृद्धि हुई। जिससे पूंजी बाजार में हेराफेरी, धोखाधड़ी, स्टॉक एक्सचेंज में नियमों का उल्लंघन, ब्रोकर्स , बैंकरों, कंपनियों द्वारा शेयरों की डिलीवरी में देरी आदि कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगीं।
जिससे शेयर बाजार से निवेशकों का भरोसा टूटने लगा। और इन्हीं दिक्कतों की वजह से शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार ने SEBI का गठन किया।
सेबी के कार्य क्या है? (What is the function of SEBI?)
SEBI को वैधानिक मान्यता मिलने के बाद इसे कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। जैसे-प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करने, शेयर बाजार के विकास को बढ़ावा देने, इसे विनियमित करने, और इससे जुड़े मामलों के लिए प्रमुख जिम्मेदारियां दी गईं।
सेबी को निवेशकों, ब्रोकर्स और बाजार का गठन करने वाली कंपनियों की जरूरतों के लिए जवाबदेही दी गई थी।
SEBI के कार्य मुख्य तीन प्रकार से विभाजित है।
- सुरक्षात्मक कार्य (Protective Work)
- विनियामक कार्य (Regulatory Work)
- विकासात्मक कार्य (Developmental Work)
सुरक्षात्मक कार्य (Protactive Work)
सुरक्षात्मक कार्य के अंतर्गत वित्तीय बाजारों के कामकाज पर नजर रखना है। जो इस प्रकार से है।
- निवेशकों को निवेश के प्रति जागरूक करना।
- निष्पक्ष शेयर बाजार लेनदेन को बढ़ावा देना।
- अंदरूनी ट्रेडिंग को रोकना।
- शेयर की कीमतों में हेराफेरी की जांच।
- कपटपूर्ण और गलत तरीके से प्रतिभूतियों के लेनदेन को रोकना।
विनियामक कार्य (Ragulatory Work)
इसके अंतर्गत SEBI निवेशकों, ब्रोकरों और कंपनियों के हितो की रक्षा करता है। जो निम्न प्रकार से है।
- यह निवेशकों, ब्रोकर्स और कंपनियों को सही तरीके से काम करने के लिए रेगुलेट करती है। और शांतिपूर्ण तरीके से कार्यो का निर्वाह करती है। शेयर्स और सिक्योरिटीज की लेनदेन की जाँच और ऑडिट करना है।
- यह एक ऐसा प्लेटफार्म देता है जहाँ पर मैनेजर, बैंकर्स, ब्रोकर्स, निवेशक, रजिस्ट्रार, शेयर ट्रांसफर एजेंट और अन्य सभी लोग एक साथ लेनदेन कर सकें।
- एक निश्चित समय में प्रयाप्त शेयर्स को रेगुलेट करना और और कंपनियों का अधिग्रहण करना।
विकासात्मक कार्य (Developmental Work)
इसके कार्यशक्ति के अंतर्गत SEBI शेयर बाजार में दिन पर दिन कुछ नए विकास कार्य करती रहती है। जिसमे मुख्य निम्न कार्य शामिल है।
- निवेशकों को इन्वेस्ट करने के लिए जागरूक करना और उन्हें प्रशिक्षण देना।
- स्टॉक ब्रोकर्स को समय-समय पर प्रशिक्षण देना।
- सही लेनदेन को बढ़ावा देना।
- स्वचलित रेगुलेटरी कंपनियों को प्रोत्साहित करना।
- शेयर मार्किट में निष्पक्ष लेनदेन को बढ़ावा देना।
- धोखाधड़ी के खिलाफ तुरंत एक्शन लेना और उसके खिलाफ कार्यवाही करना।
- शेयर बाजार के विकास के लिए नियमो में बदलाव करना।
SEBI की शक्तियां (Powers of SEBI)
SEBI के पास वैधानिक नियामक के रूप में प्रमुख तीन शक्तियां है। जो इस प्रकार से है।
अर्ध-न्यायिक शक्तियां (Quasi-Judicial Powers)
यह शक्ति सेबी को प्रतिभूति बाजार में किसी प्रकार की धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार पर निर्णय लेने का अधिकार देती है। ये शक्तियां सेबी को प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने की अनुमति देती हैं।
अर्ध-कार्यकारी शक्तियां (Quasi-Executive Powers)
सेबी के पास पूंजी बाजार में नियमों के उल्लंघन के मामले में उल्लंघनकर्ता के बही-खाता और अन्य दस्तावेजों की जांच करने की शक्ति है। यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो नियामक निकाय के पास नियमों को लागू करने, निर्णय पारित करने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
अर्ध-विधायी शक्तियां (Quasi-Legislative Powers)
SEBI के पास निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उपयुक्त नियम और कानून बनाने की शक्ति है। इसके कुछ नियमों में सूचीबद्ध देनदारियां, व्यावसायिक नियम और डिस्क्लोज़र आवश्यकताएं शामिल हैं। और उन्हें द्वेष से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा सेबी को सेक्युरिटी ट्रिब्यूनल ऑफ़ इंडिया और भारत के सर्वोच्च न्यायालय से गुजरना पड़ता है।
SEBI की संरचना (Structure of SEBI)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड एक ऐसी संस्था है जिसका प्रबंधन उसके सदस्यों द्वारा एक कॉर्पोरेट संरचना की तरह किया जाता है। जिसमें विभिन्न विभाग शामिल हैं। SEBI के अंतर्गत लगभग कुल 20 विभाग हैं। इनमें से कुछ विभाग निगम वित्त, आर्थिक और नीति विश्लेषण, ऋण और संकर प्रतिभूतियां, प्रवर्तन, मानव संसाधन, निवेश प्रबंधन, कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार विनियमन, कानूनी मामले और अन्य विभाग शामिल हैं।
SEBI में नौ सदस्य होते है। जिस निम्न प्रकार से है।
- एक बोर्ड अध्यक्ष: भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- एक बोर्ड सदस्य: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- दो बोर्ड के सदस्य: केंद्रीय वित् मंत्रालय से नियुक्त किया जाता है।
- पांच बोर्ड सदस्य: भारत सरकार द्वारा चुने गए।
FAQ: सेबी क्या है?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और भारत सरकार के एक अध्यादेश द्वारा सेबी अधिनियम 1992 के तहत 30 जनवरी 1992 को वैधानिक मान्यता प्राप्त हुई थी। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
सेबी (SEB) का पूरा नाम “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” (Securities and Exchange Board of India) है।
सेबी के वर्तमान चेयरमैन श्री अजय त्यागी है। जो की एक IAS अधिकारी है।
SEBI का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। और इसके क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि, अहमदाबाद , हैदराबाद, शिमला, जयपुर और लखनऊ में स्थित है।
सेबी की मुख्य तीन शक्तियां है। जिनके नाम अर्ध-न्यायिक शक्तियां, अर्ध-विधायी शक्तियां, अर्ध-विधायी शक्तियां हैं।
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निष्कर्ष: सेबी से आप क्या समझते है?
दोस्तों, उम्मीद है की मैंने आपको SEBI क्या है? सेबी के कार्य और नियम क्या है? के बारे में पूरी जानकारी दी है। और उम्मीद करता हु की सेबी का फुल फॉर्म और सेबी का इतिहास आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा।
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